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आशुफ़्ता चंगेज़ी के चुनिंदा शेर

हमें भी आज ही करना था इंतिज़ार उस का
उसे भी आज ही सब वादे भूल जाने थे


तुझ से बिछड़ना कोई नया हादसा नहीं
ऐसे हज़ारों क़िस्से हमारी ख़बर में हैं


किस की तलाश है हमें किस के असर में हैं
जब से चले हैं घर से मुसलसल सफ़र में हैं


सवाल करती कई आँखें मुंतज़िर हैं यहाँ
जवाब आज भी हम सोच कर नहीं आए


तुझ को भी क्यूँ याद रखा
सोच के अब पछताते हैं


बुरा मत मान इतना हौसला अच्छा नहीं लगता
ये उठते बैठते ज़िक्र-ए-वफ़ा अच्छा नहीं लगता


ऊँची उड़ान के लिए पर तौलते थे हम
ऊँचाइयों पे साँस घुटेगी पता न था


ये बात याद रखेंगे तलाशने वाले
जो उस सफ़र पे गए लौट कर नहीं आए


ख़्वाब जितने देखने हैं आज सारे देख लें
क्या भरोसा कल कहाँ पागल हवा ले जाएगी


सफ़र तो पहले भी कितने किए मगर इस बार
ये लग रहा है कि तुझ को भी भूल जाएँगे


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By: Ashufta Changezi

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