loader image

कम से कम – अशोक चक्रधर की कविता

एक घुटे हुए नेता ने
छंटे हुए शब्दों में
भावुक तकरीर दी,
भीड़ भावनाओं से चीर दी।
फिर मानव कल्याण के लिए
दिल खोल दान के लिए
अपनी टोपी घुमवाई,
पर अफ़सोस
कि खाली लौट आई।

टोपी को देखकर
नेता जी बोले-अपमान जो होना है सो हो ले।
पर धन्यवाद,
आपकी इस प्रतिक्रिया से
प्रसन्नता छा गई,
कम से कम
टोपी तो वापस आ गई।

639

Add Comment

By: Dr. Ashok Chakradhar

© 2023 पोथी | सर्वाधिकार सुरक्षित

Do not copy, Please support by sharing!