कविता

अभी तुम हो रास्ते में

Published by
Doodhnath Singh

अभी तुम हो रास्ते में
अभी तुम हो धाम के उस पार
अभी तुम पवनार में हो
वृद्ध-जर्जर साध्वियों के संग
अभी तुम हो प्रार्थना की व्यर्थता में
अभी तुम बापू कुटी में
अभी तुम शान्ति के स्तूप में
उस गोल घेरे में
अभी तुम हो नाशवान शरीर-मन्दिर में
अभी तुम हो फूल
जिसमें शूल-सा मैं चुभ रहा हूँ

लौट आओ
इसी पथ पर कुचल
दो यह नोक
मेरी । सदा को
सुनसान
मेरा ।

624
Published by
Doodhnath Singh