loader image

भूल गया सब कुछ

नहाया नहीं अरे, आज अभी तक
अभौतिक-अजीवन-अन-अर्थ,
कुछ भी खाया नहीं अदृश्य
अननुभूत । गुन-गुन खटराग
सुनाया नहीं उसको
जो आया नहीं ।

भूल गया सब कुछ
शब्दों में कुछ भी समाया नहीं ।
अब तो गया -– निष्क्रमित हुआ
रूखा-सूखा यह जीवन
अब तक सरसाया नहीं
बरसे-बरसे वे बादल
वे बादल फिर भी
अघाया नहीं ।

गया । अब गया यह
स्वर्ण-कलश अ-तिथि जीवन
जला
बस जलाया नहीं ।

645

Add Comment

By: Doodhnath Singh

© 2023 पोथी | सर्वाधिकार सुरक्षित

Do not copy, Please support by sharing!