शेर

गौहर होशियारपुरी के चुनिंदा शेर

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Gauhar Hoshiyarpuri

फूलों में वही तो फूल ठहरा
जो तेरे सलाम को खिला हो


लोग किनारे आन लगे
और किनारा डूब गया


लहजा तो बदल चुभती हुई बात से पहले
तीर ऐसा तो कुछ हो जिसे नख़चीर भी चाहे


नाव न डूबी दरिया में
नाव में दरिया डूब गया


उजले मैले पेश हुए
जैसे हम थे पेश हुए


कहाँ वो ज़ब्त के दावे कहाँ ये हम ‘गौहर’
कि टूटते थे न फिर टूट कर बिखरते थे


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Gauhar Hoshiyarpuri