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हफ़ीज़ होशियारपुरी के चुनिंदा शेर

मोहब्बत करने वाले कम न होंगे
तिरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे


दोस्ती आम है लेकिन ऐ दोस्त
दोस्त मिलता है बड़ी मुश्किल से


तमाम उम्र तिरा इंतिज़ार हम ने किया
इस इंतिज़ार में किस किस से प्यार हम ने किया


दिल से आती है बात लब पे ‘हफ़ीज़’
बात दिल में कहाँ से आती है


दुनिया में हैं काम बहुत
मुझ को इतना याद न आ


तमाम उम्र किया हम ने इंतिज़ार-ए-बहार
बहार आई तो शर्मिंदा हैं बहार से हम


अगर तू इत्तिफ़ाक़न मिल भी जाए
तिरी फ़ुर्क़त के सदमे कम न होंगे


ज़माने भर के ग़म या इक तिरा ग़म
ये ग़म होगा तो कितने ग़म न होंगे


तिरे जाते ही ये आलम है जैसे
तुझे देखे ज़माना हो गया है


जब कभी हम ने किया इश्क़ पशेमान हुए
ज़िंदगी है तो अभी और पशेमाँ होंगे


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By: Hafeez Hoshiarpuri

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