loader image

हसरत जयपुरी के चुनिंदा शेर

कहीं वो आ के मिटा दें न इंतिज़ार का लुत्फ़
कहीं क़ुबूल न हो जाए इल्तिजा मेरी


जब प्यार नहीं है तो भुला क्यूँ नहीं देते
ख़त किस लिए रक्खे हैं जला क्यूँ नहीं देते


हम रातों को उठ उठ के जिन के लिए रोते हैं
वो ग़ैर की बाँहों में आराम से सोते हैं


ख़ुदा जाने किस किस की ये जान लेगी
वो क़ातिल अदा वो क़ज़ा महकी महकी


ये किस ने कहा है मिरी तक़दीर बना दे
आ अपने ही हाथों से मिटाने के लिए आ


किस वास्ते लिक्खा है हथेली पे मिरा नाम
मैं हर्फ़-ए-ग़लत हूँ तो मिटा क्यूँ नहीं देते


दीवार है दुनिया इसे राहों से हटा दे
हर रस्म-ए-मोहब्बत को मिटाने के लिए आ


हसरत जयपुरी के चुनिंदा शेर


639

Add Comment

By: Hasrat Jaipuri

© 2023 पोथी | सर्वाधिकार सुरक्षित

Do not copy, Please support by sharing!