शेर

गुलज़ार के चुनिंदा शेर

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Sampooran Singh Kalra (Gulzar)

आप के बा’द हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है


आइना देख कर तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई


शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है


कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़
किसी की आँख में हम को भी इंतिज़ार दिखे


ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा


वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर
आदत इस की भी आदमी सी है


आदतन तुम ने कर दिए वादे
आदतन हम ने ए’तिबार किया


जिस की आँखों में कटी थीं सदियाँ
उस ने सदियों की जुदाई दी है


कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की


कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है


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Sampooran Singh Kalra (Gulzar)