सहमा सहमा डरा सा रहता है
जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है
उसी का ईमाँ बदल गया है
कभी जो मेरा ख़ुदा रहा था
आप ने औरों से कहा सब कुछ
हम से भी कुछ कभी कहीं कहते
देर से गूँजते हैं सन्नाटे
जैसे हम को पुकारता है कोई
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
जैसे एहसाँ उतारता है कोई
फिर वहीं लौट के जाना होगा
यार ने कैसी रिहाई दी है
ज़ख़्म कहते हैं दिल का गहना है
दर्द दिल का लिबास होता है
राख को भी कुरेद कर देखो
अभी जलता हो कोई पल शायद
वो उम्र कम कर रहा था मेरी
मैं साल अपने बढ़ा रहा था
वो एक दिन एक अजनबी को
मिरी कहानी सुना रहा था