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वीरांगना – केदारनाथ अग्रवाल की कविता

मैंने उसको
जब-जब देखा
लोहा देखा
लोहे जैसा-
तपते देखा-
गलते देखा-
ढलते देखा
मैंने उसको
गोली जैसा
चलते देखा।

वीरांगना

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By: Kedarnath Agarwal

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