मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई।
माता छोड़ी पिता छोड़े छोड़े सगा सोई।
साधाँ संग बैठ बैठ लोक लाज खोई॥
संत देख दौड़ि आई, जगत देख रोई।
प्रेम आँसू डार-डार अमर बेल बोई॥
मारग में तारण मिले संत नाम दोई।
संत सदा सीस पर नाम हृदै सब होई॥
अब तो बात फैल गई, जानै सब कोई।
दासि मीरा लाल गिरधर, होई सो होई॥