शेर

क़तील शिफ़ाई के चुनिंदा शेर

Published by
Qateel Shifai

कुछ कह रही हैं आप के सीने की धड़कनें
मेरा नहीं तो दिल का कहा मान जाइए


अब जिस के जी में आए वही पाए रौशनी
हम ने तो दिल जला के सर-ए-आम रख दिया


क्या जाने किस अदा से लिया तू ने मेरा नाम
दुनिया समझ रही है कि सच-मुच तिरा हूँ मैं


गुनगुनाती हुई आती हैं फ़लक से बूँदें
कोई बदली तिरी पाज़ेब से टकराई है


मुझ से तू पूछने आया है वफ़ा के मअ’नी
ये तिरी सादा-दिली मार न डाले मुझ को


रहेगा साथ तिरा प्यार ज़िंदगी बन कर
ये और बात मिरी ज़िंदगी वफ़ा न करे


हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूँ
शीशे के महल बना रहा हूँ


वो दिल ही क्या तिरे मिलने की जो दुआ न करे
मैं तुझ को भूल के ज़िंदा रहूँ ख़ुदा न करे


सूख गई जब आँखों में प्यार की नीली झील ‘क़तील’
तेरे दर्द का ज़र्द समुंदर काहे शोर मचाएगा


अभी तो बात करो हम से दोस्तों की तरह
फिर इख़्तिलाफ़ के पहलू निकालते रहना


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