loader image

क़तील शिफ़ाई के चुनिंदा शेर

हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे
अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ


जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथ
जाने क्यूँ लोग मिरे नाम से जल जाते हैं


आख़री हिचकी तिरे ज़ानूँ पे आए
मौत भी मैं शाइराना चाहता हूँ


चलो अच्छा हुआ काम आ गई दीवानगी अपनी
वगरना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते


यूँ लगे दोस्त तिरा मुझ से ख़फ़ा हो जाना
जिस तरह फूल से ख़ुशबू का जुदा हो जाना


उफ़ वो मरमर से तराशा हुआ शफ़्फ़ाफ़ बदन
देखने वाले उसे ताज-महल कहते हैं


दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था


दिल पे आए हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं
लोग अब मुझ को तिरे नाम से पहचानते हैं


हम उसे याद बहुत आएँगे
जब उसे भी कोई ठुकराएगा


ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में
ख़ुदा किसी को किसी से मगर जुदा न करे


986

Add Comment

By: Qateel Shifai

© 2023 पोथी | सर्वाधिकार सुरक्षित

Do not copy, Please support by sharing!