मेरी प्यारी औरत उषा सिंगर लेकर क्या समझीं
सीने वाले सूट कमीज दोशाले हम ही होते हैं
घर की हांडी भून के किस ख़ुशफ़हमी में तुम मगन रहीं
बड़े होटलों में कुल जाएके वाले हम ही होते हैं
हम ही गुलों को ग़ाज़ा मल कर महफ़िल में ले जाते हैं
और ख़ुशबू के तन पर छुभते भाले हम ही होते हैं
हम ही तुमको कोठे पर ले जा कर दाम लगाते हैं
और तुम्हारा रक़्स देख मतवाले हम ही होते हैं
दफ़्तर की रौनक़ की ख़ातिर इक कुर्सी दे देते हैं
और चाँद के गिर्द चमकते हाले हम ही होते हैं
तुम अपनी तारीफ़ें सुन कर कैसी ख़ुश हो जाती हो
बुन्ने वाले ये मकड़ी के जाले हम ही होते हैं
तुम क्या दोगी साथ हमारा शाना ब शाना चलने में
सारे महकमे सारे काम सम्भाले हम ही होते हैं
तुमने घर और दफ़्तर करके समझा मैदां जीत लिया
अक़्लो खिरद पर डालने वाले ताले हम ही होते हैं
तुम को रात के अंधेरे में छोड़ के बे परवाई से
सूरज की आँखों में आँखें डाले हम ही होते हैं
तुम मिट्टी की मूरत हो आवाज़ का तुम से क्या रिश्ता
सजा के रखने वाले तुम्हें शिवाले हम ही होते हैं!