loader image

नाम – बद्रीनारायण की कविता

मुझे कैसा नाम दिया है मेरे पिता
मैं अपने नाम के अर्थ में ही बिंध-सा गया हूँ
जैसे ठुक गई हो कोई कील मेरे हृदय-प्रदेश में ।

अब न जाने कितना करना पडे़गा दुर्धर्ष संघर्ष
कितने व्रण सहने पड़ेंगे
इसके अर्थों के पार जाने के लिए

अपने आपका गुलाम मैं होता गया हूँ
मेरे पिता

ये मुझ में नया राग भरने नहीं देते
ये मुझे ख़ुद से आगे कुछ देखने नहीं देते
मैं क्या करूँ कि इसके अर्थ से हो जाऊँ बरी

कितनी लड़ाइयाँ और लड़ूँ
कौन-सा दर्रा पार करूँ
कितनी बार और किन-किन मौसम में
कोसी में लगाऊँ छलांग

मुझे ऎसे अर्थों की ग़ुलामी से
मुक्त होना है मेरे पिता

Add Comment

By: Badrinarayan

© 2023 पोथी | सर्वाधिकार सुरक्षित

Do not copy, Please support by sharing!