अभी निकटता बहुत दूर है,
अभी सफलता बहुत दूर है,
निर्ममता से नहीं, मुझे तो ममता से भय है।
अभी तो केवल परिचय है।
माना जीवन स्नेह चाहता,
स्नेह नहीं संदेह चाहता,
किसी और पर नहीं, मुझे अपने पर संशय है।
अभी तो केवल परिचय है।
कवि के गीत रिझाते जग को,
कवि के गीत रुलाते जग को,
इसमें कवि का क्या है, यह तो कविता की जय है।
अभी तो केवल परिचय है।