दे निशानी कोई ऐसी कि सदा याद रहे
ज़ख़्म की बात है क्या ज़ख़्म तो भर जाएँगे
तेज़ हवाएँ आँखों में तो रेत दुखों की भर ही गईं
जलते लम्हे रफ़्ता रफ़्ता दिल को भी झुलसाएँगे
बशर नवाज़ के चुनिंदा शेर
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दे निशानी कोई ऐसी कि सदा याद रहे
ज़ख़्म की बात है क्या ज़ख़्म तो भर जाएँगे
तेज़ हवाएँ आँखों में तो रेत दुखों की भर ही गईं
जलते लम्हे रफ़्ता रफ़्ता दिल को भी झुलसाएँगे
बशर नवाज़ के चुनिंदा शेर
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