loader image

कभी पाना मुझे – कुंवर नारायण की कविता

तुम अभी आग ही आग
मैं बुझता चिराग

हवा से भी अधिक अस्थिर हाथों से
पकड़ता एक किरण का स्पन्द
पानी पर लिखता एक छंद
बनाता एक आभा-चित्र

और डूब जाता अतल में
एक सीपी में बंद

कभी पाना मुझे
सदियों बाद

दो गोलाद्धों के बीच
झूमते एक मोती में।

958

Add Comment

By: Kunwar Narayan

© 2023 पोथी | सर्वाधिकार सुरक्षित

Do not copy, Please support by sharing!