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अब न रहूंगी तोर हठ की

राणा जी…हे राणा जी
राणा जी अब न रहूंगी तोर हठ की

साधु संग मोहे प्यारा लागे
लाज गई घूंघट की
हार सिंगार सभी ल्यो अपना
चूड़ी कर की पटकी

महल किला राणा मोहे न भाए
सारी रेसम पट की
राणा जी… हे राणा जी
जब न रहूंगी तोर हठ की

भई दीवानी मीरा डोले
केस लटा सब छिटकी
राणा जी… हे राणा जी!
अब न रहूंगी तोर हठ की।

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By: Meera Bai

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