शेर

क़लक़ मेरठी के चुनिंदा शेर

Published by
Qalak Merathi

हर संग में काबे के निहाँ इश्वा-ए-बुत है
क्या बानी-ए-इस्लाम भी ग़ारत-गर-ए-दीं था


क़लक़ मेरठी के शेर

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