शेर

तनवीर सिप्रा के चुनिंदा शेर

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Tanveer Sipra

कभी अपने वसाएल से न बढ़ कर ख़्वाहिशें पालो
वो पौदा टूट जाता है जो ला-महदूद फलता है


आज इतना जलाओ कि पिघल जाए मिरा जिस्म
शायद इसी सूरत ही सुकूँ पाए मिरा जिस्म


तेरी तो आन बढ़ गई मुझ को नवाज़ कर
लेकिन मिरा वक़ार ये इमदाद खा गई


कितना बोद है मेरे फ़न और पेशे के माबैन
बाहर दानिश-वर हूँ लेकिन मिल में ऑयल-मैन


‘तनवीर’ अब तू हल्क़ से भोंपू का काम ले
बहरे हुए हैं कान मशीनों के शोर से


सब की निगाह में तिरे गोदाम आ गए
अब अपने हाथों माल की तक़्सीम कर न कर


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