कुछ इस तरह से याद आते रहे हो
कि अब भूल जाने को जी चाहता है
ख़फ़ा हैं फिर भी आ कर छेड़ जाते हैं तसव्वुर में
हमारे हाल पर कुछ मेहरबानी अब भी होती है
थक गए हम करते करते इंतिज़ार
इक क़यामत उन का आना हो गया
भुला बैठे हो हम को आज लेकिन ये समझ लेना
बहुत पछताओगे जिस वक़्त हम कल याद आएँगे
माना कि सब के सामने मिलने से है हिजाब
लेकिन वो ख़्वाब में भी न आएँ तो क्या करें
याद आओ मुझे लिल्लाह न तुम याद करो
मेरी और अपनी जवानी को न बर्बाद करो
अब तो मिलिए बस लड़ाई हो चुकी
अब तो चलिए प्यार की बातें करें
अब जी में है कि उन को भुला कर ही देख लें
वो बार बार याद जो आएँ तो क्या करें
मोहब्बत के इक़रार से शर्म कब तक
कभी सामना हो तो मजबूर कर दूँ
मुद्दतें हो गईं बिछड़े हुए तुम से लेकिन
आज तक दिल से मिरे याद तुम्हारी न गई