शेर

आशुफ़्ता चंगेज़ी के चुनिंदा शेर

Published by
Ashufta Changezi

है इंतिज़ार मुझे जंग ख़त्म होने का
लहू की क़ैद से बाहर कोई बुलाता है


एक मंज़र में लिपटे बदन के सिवा
सर्द रातों में कुछ और दिखता नहीं


घर की हद में सहरा है
आगे दरिया बहता है


घर के अंदर जाने के
और कई दरवाज़े हैं


दिल देता है हिर-फिर के उसी दर पे सदाएँ
दीवार बना है अभी दीवाना नहीं है


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Ashufta Changezi