शेर

बशीर बद्र के चुनिंदा शेर

Published by
Bashir Badr

कोई बादल हो तो थम जाए मगर अश्क मिरे
एक रफ़्तार से दिन रात बराबर बरसे


दिन में परियों की कोई कहानी न सुन
जंगलों में मुसाफ़िर भटक जाएँगे


लोबान में चिंगारी जैसे कोई रख जाए
यूँ याद तिरी शब भर सीने में सुलगती है


फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे
और इस दिल की तरफ़ बरसे तो पत्थर बरसे


जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाए रात भर
भेजा वही काग़ज़ उसे हम ने लिखा कुछ भी नहीं


बहुत दिनों से है दिल अपना ख़ाली ख़ाली सा
ख़ुशी नहीं तो उदासी से भर गए होते


मेरा शैतान मर गया शायद
मेरे सीने पे सो रहा है कोई


ये शबनमी लहजा है आहिस्ता ग़ज़ल पढ़ना
तितली की कहानी है फूलों की ज़बानी है


हयात आज भी कनीज़ है हुज़ूर-ए-जब्र में
जो ज़िंदगी को जीत ले वो ज़िंदगी का मर्द है


कोई फूल सा हाथ काँधे पे था
मिरे पाँव शो’लों पे जलते रहे


958

Page: 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17

Published by
Bashir Badr