जिन का मक़्सद फ़रेब होता है
वो बड़ी सादगी से मिलते हैं
मौत आएगी उस से मिल लेंगे
अब चलो ज़िंदगी से मिलते हैं
महँगाई में हर इक शय के दाम हुए हैं दूने
मजबूरी में बिके जवानी दो कौड़ी के मोल
चमन लाल चमन के चुनिंदा शेर
जिन का मक़्सद फ़रेब होता है
वो बड़ी सादगी से मिलते हैं
मौत आएगी उस से मिल लेंगे
अब चलो ज़िंदगी से मिलते हैं
महँगाई में हर इक शय के दाम हुए हैं दूने
मजबूरी में बिके जवानी दो कौड़ी के मोल
चमन लाल चमन के चुनिंदा शेर
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