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गणेश बिहारी तर्ज़ के चुनिंदा शेर

पत्थरों के देस में शीशे का है अपना वक़ार
देवता अपनी जगह और आदमी अपनी जगह


साँसों की जल-तरंग पर नग़्मा-ए-इश्क़ गाए जा
ऐ मिरी जान-ए-आरज़ू तू यूँही मुस्कुराए जा


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By: Ganesh Bihari Tarz

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