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हबीब तनवीर के चुनिंदा शेर

ख़ार को तो ज़बान-ए-गुल बख़्शी
गुल को लेकिन ज़बान-ए-ख़ार ही दी


मैं नहीं जा पाऊँगा यारो सू-ए-गुलज़ार अभी
देखनी है आब-जू-ए-ज़ीस्त की रफ़्तार अभी


हबीब तनवीर के शेर

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By: Habib Tanvir

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