उठने को तो उठा हूँ महफ़िल से तिरी लेकिन
अब दिल को ये धड़का है जाऊँ तो किधर जाऊँ
लुत्फ़-ए-जफ़ा इसी में है याद-ए-जफ़ा न आए फिर
तुझ को सितम का वास्ता मुझ को मिटा के भूल जा
अश्क-ए-ग़म उक़्दा-कुशा-ए-ख़लिश-ए-जाँ निकला
जिस को दुश्वार मैं समझा था वो आसाँ निकला
दिल-ए-सरशार मिरा चश्म-ए-सियह-मस्त तिरी
जज़्बा टकरा दे न पैमाने से पैमाने को
हादी मछलीशहरी के शेर
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