loader image

उसके बारे में – धूमिल की कविता

पता नहीं कितनी रिक्तता थी-
जो भी मुझमे होकर गुजरा -रीत गया
पता नहीं कितना अन्धकार था मुझमे
मैं सारी उम्र चमकने की कोशिश में
बीत गया

भलमनसाहत
और मानसून के बीच खड़ा मैं
ऑक्सीजन का कर्ज़दार हूँ
मैं अपनी व्यवस्थाओं में
बीमार हूँ

उसके बारे में

554

Add Comment

By: Sudama Pandya 'Dhumil'

© 2023 पोथी | सर्वाधिकार सुरक्षित

Do not copy, Please support by sharing!