शेर

ज़हीर देहलवी के चुनिंदा शेर

Published by
Zaheer Dehlvi

किस की आशुफ़्ता-मिज़ाजी का ख़याल आया है
आप हैरान परेशान कहाँ जाते हैं


इश्क़ क्या शय है हुस्न है क्या चीज़
कुछ इधर की है कुछ उधर की आग


आज आए थे घड़ी भर को ‘ज़हीर’-ए-नाकाम
आप भी रोए हमें साथ रुला कर उठ्ठे


आज तक कोई न अरमान हमारा निकला
क्या करे कोई तुम्हारा रुख़-ए-ज़ेबा ले कर


पान बन बन के मिरी जान कहाँ जाते हैं
ये मिरे क़त्ल के सामान कहाँ जाते हैं


‘ज़हीर’-ए-ख़स्ता-जाँ सच है मोहब्बत कुछ बुरी शय है
मजाज़ी में हक़ीक़ी के हुए हैं इम्तिहाँ क्या क्या


है सैर निगाहों में शबिस्तान अदू की
क्या मुझ से छुपाते हो तमाशा मिरे दिल का


956

Page: 1 2 3 4

Published by
Zaheer Dehlvi