रह गई है कुछ कमी तो क्या शिकायत है ‘फ़हीम’
इस जहाँ में सब अधूरे हैं मुकम्मल कौन है
किरदार देखना है तो सूरत न देखिए
मिलता नहीं ज़मीं का पता आसमान से
कह के ये फेर लिया मुँह मिरे अफ़्साने से
फ़ाएदा रोज़ कहीं बात के दोहराने से
सब की दुनिया तबाह करते हो
तुम भी क्या हो गए हो अमरीका
कल जो गले मिलते थे मुझ से कल जो मुझे पहचानते थे
आज मुसाफ़िर जान के कैसे रस्ते वो अंजान हुए