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वहीद अख़्तर के चुनिंदा शेर

किरनों से तराशा हुआ इक नूर का पैकर
शरमाया हुआ ख़्वाब की चौखट पे खड़ा है


याद आई न कभी बे-सर-ओ-सामानी में
देख कर घर को ग़रीब-उल-वतनी याद आई


ज़ेर-ए-पा अब न ज़मीं है न फ़लक है सर पर
सैल-ए-तख़्लीक़ भी गिर्दाब का मंज़र निकला


वहीद अख़्तर के शेर


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By: Waheed Akhtar

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