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जैसा मेरा देस – अफ़सर मेरठी की नज़्म

फूलों का हर सम्त महकना
कलियों का हर रोज़ चटकना
बाग़ों में बुलबुल का चहकना
मेवों का शाख़ों से निकलना
जैसा मेरा देस है ‘अफ़सर’ ऐसा कोई देस नहीं
कैसे कैसे अच्छे दरिया
वो उन का इठला के चलना
दो बहनें हैं गंगा जमुना
दुनिया में सानी नहीं इन का
जैसा मेरा मेरा देस है अफ़सर ऐसा कोई देस नहीं
शबनम ने फूलों को निखारा
सूरज ने कुछ और निखारा
कैसा समाँ है प्यारा प्यारा
इक गुलशन है भारत प्यारा
जैसा मेरा देस है ‘अफ़सर’ ऐसा कोई देस नहीं

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By: Afsar Merathi

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