अस्ल वहदत की बिना है अदम-ए-ग़ैरिय्यत
उस का जब रंग जमा ग़ैर को अपना जाना
जो दिल-ओ-ईमाँ न दें नज़राँ बुतों को देख कर
या ख़ुदा वो लोग इस दुनिया में आए किस लिए
अस्ल वहदत की बिना है अदम-ए-ग़ैरिय्यत
उस का जब रंग जमा ग़ैर को अपना जाना
जो दिल-ओ-ईमाँ न दें नज़राँ बुतों को देख कर
या ख़ुदा वो लोग इस दुनिया में आए किस लिए
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