loader image

पंडित दया शंकर नसीम लखनवी के चुनिंदा शेर

जो दिन को निकलो तो ख़ुर्शीद गिर्द-ए-सर घूमे
चलो जो शब को तो क़दमों पे माहताब गिरे


चला दुख़्तर-ए-रज़ को ले कर जो साक़ी
फ़रिश्ता हुए साथ घर देखने को


मअ’नी-ए-रौशन जो हों तो सौ से बेहतर एक शेर
मतला-ए-ख़ुर्शीद काफ़ी है पए-दीवान-ए-सुब्ह


सुब्ह-दम ग़ाएब हुए ‘अंजुम’ तो साबित हो गया
ख़ंदा-ए-बेहूदा पर तोड़े गए दंदान-ए-सुब्ह


पंडित दया शंकर नसीम लखनवी के शेर

693

Add Comment

By: Pandit Daya Shankar Naseem Lakhnavi

© 2023 पोथी | सर्वाधिकार सुरक्षित

Do not copy, Please support by sharing!