दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तिरी याद थी अब याद आया
आज देखा है तुझ को देर के बअ’द
आज का दिन गुज़र न जाए कहीं
वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों का
जो पिछली रात से याद आ रहा है
आरज़ू है कि तू यहाँ आए
और फिर उम्र भर न जाए कहीं
ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूद
महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी
ज़रा सी बात सही तेरा याद आ जाना
ज़रा सी बात बहुत देर तक रुलाती थी
तेरी मजबूरियाँ दुरुस्त मगर
तू ने वादा किया था याद तो कर
दाएम आबाद रहेगी दुनिया
हम न होंगे कोई हम सा होगा
हमारे घर की दीवारों पे ‘नासिर’
उदासी बाल खोले सो रही है
कौन अच्छा है इस ज़माने में
क्यूँ किसी को बुरा कहे कोई