क़लक़ मेरठी के चुनिंदा शेर By: Qalak Merathi शेर हर संग में काबे के निहाँ इश्वा-ए-बुत हैक्या बानी-ए-इस्लाम भी ग़ारत-गर-ए-दीं था क़लक़ मेरठी के शेर 963 1 2 3 4 5 6 FacebookXPinterestWhatsApp