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हैदर अली आतिश के चुनिंदा शेर

क़द में तो कर चुका था वो अहमक़ बराबरी
मजबूर सर्व को तिरी रफ़्तार ने किया


बस्तियाँ ही बस्तियाँ हैं गुम्बद-ए-अफ़्लाक में
सैकड़ों फ़रसंग मजनूँ से बयाबाँ रह गया


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By: Khwaja Haidar Ali Aatish

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