लचक है शाख़ों में जुम्बिश हवा से फूलों में
बहार झूल रही है ख़ुशी के फूलों में
ज़ानू पर ‘अमीर’ सर को रक्खे
पहरों गुज़रे कि रो रहे हैं
लचक है शाख़ों में जुम्बिश हवा से फूलों में
बहार झूल रही है ख़ुशी के फूलों में
ज़ानू पर ‘अमीर’ सर को रक्खे
पहरों गुज़रे कि रो रहे हैं
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