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जौन एलिया के चुनिंदा शेर

अब नहीं मिलेंगे हम कूचा-ए-तमन्ना में
कूचा-ए-तमन्ना में अब नहीं मिलेंगे हम


अब ख़ाक उड़ रही है यहाँ इंतिज़ार की
ऐ दिल ये बाम-ओ-दर किसी जान-ए-जहाँ के थे


हम ने क्यूँ ख़ुद पे ए’तिबार किया
सख़्त बे-ए’तिबार थे हम तो


हमें शिकवा नहीं इक दूसरे से
मनाना चाहिए इस पर ख़ुशी क्या


हम यहाँ ख़ुद आए हैं लाया नहीं कोई हमें
और ख़ुदा का हम ने अपने नाम पर रक्खा है नाम


अपने सभी गिले बजा पर है यही कि दिलरुबा
मेरा तिरा मोआ’मला इश्क़ के बस का था नहीं


हमला है चार सू दर-ओ-दीवार-ए-शहर का
सब जंगलों को शहर के अंदर समेट लो


घर से हम घर तलक गए होंगे
अपने ही आप तक गए होंगे


याद आते हैं मोजज़े अपने
और उस के बदन का जादू भी


मुझ को ये होश ही न था तू मिरे बाज़ुओं में है
यानी तुझे अभी तलक मैं ने रिहा नहीं किया


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By: Jaun Elia

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