हर शख़्स से बे-नियाज़ हो जा
फिर सब से ये कह कि मैं ख़ुदा हूँ
नहीं दुनिया को जब पर्वा हमारी
तो फिर दुनिया की पर्वा क्यूँ करें हम
जाते जाते आप इतना काम तो कीजे मिरा
याद का सारा सर-ओ-सामाँ जलाते जाइए
मैं जो हूँ ‘जौन-एलिया’ हूँ जनाब
इस का बेहद लिहाज़ कीजिएगा
तुम्हारी याद में जीने की आरज़ू है अभी
कुछ अपना हाल सँभालूँ अगर इजाज़त हो
ज़िंदगी क्या है इक कहानी है
ये कहानी नहीं सुनानी है
ये बहुत ग़म की बात हो शायद
अब तो ग़म भी गँवा चुका हूँ मैं
अपने सर इक बला तो लेनी थी
मैं ने वो ज़ुल्फ़ अपने सर ली है
शौक़ है इस दिल-ए-दरिंदा को
आप के होंट काट खाने का
एक ही हादसा तो है और वो ये कि आज तक
बात नहीं कही गई बात नहीं सुनी गई