loader image

दाग़ देहलवी के चुनिंदा शेर

सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं
हम देखने वालों की नज़र देख रहे हैं


ग़ज़ब किया तिरे वअ’दे पे ए’तिबार किया
तमाम रात क़यामत का इंतिज़ार किया


आप का ए’तिबार कौन करे
रोज़ का इंतिज़ार कौन करे


शब-ए-विसाल है गुल कर दो इन चराग़ों को
ख़ुशी की बज़्म में क्या काम जलने वालों का


लिपट जाते हैं वो बिजली के डर से
इलाही ये घटा दो दिन तो बरसे


न जाना कि दुनिया से जाता है कोई
बहुत देर की मेहरबाँ आते आते


दी शब-ए-वस्ल मोअज़्ज़िन ने अज़ाँ पिछली रात
हाए कम-बख़्त को किस वक़्त ख़ुदा याद आया


ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं
साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं


कल तक तो आश्ना थे मगर आज ग़ैर हो
दो दिन में ये मिज़ाज है आगे की ख़ैर हो


बात तक करनी न आती थी तुम्हें
ये हमारे सामने की बात है


991

Add Comment

By: Dagh Dehlvi

© 2023 पोथी | सर्वाधिकार सुरक्षित

Do not copy, Please support by sharing!